आओ थाम लें इक दूजे का हाथ,
बढ़ते चलें कर्त्तव्य पथ पर एक साथ
न डरें, न रुके
दृढ़ता और धैर्य से बढ़ते चलें
किसका कसूर, है जिम्मेवार कौन!
समय नहीं, इन बेवजह की बातों में पड़ने का,
सहयोग दें, प्रोत्साहित करें
मनोबल सबका ऊंचा करें,
मुश्किल समय है कट जाएगा
खौफ का बादल छंट जाएगा,
पार करना है हर हाल में
ये जो पर्वत संकट का खड़ा,
जीत हमें हासिल होगी
रख हौंसला ज़रा,
डगमगाये जो पांव तो
संभाल लेना
एका ये टूटे न
हौंसला ये छूटे न,
कदम से कदम मिलाकर
मंजिल की ओर
निरंतर बढ़ना।
Sonia Madaan ✍️
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर कविता👌👌
Thank you Manisha ji 😊
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