कशिश।

तेरे चेहरे की कशिश।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 09 Jul, 2020 | 1 min read

 वो बातें, वो रातें 

वो हसीन मुलाकातें,

भूलने नहीं देती

 तेरे चेहरे की कशिश।

 

वो कनखियों से देखना

मुस्कुराना और पलट जाना,

भूलने नहीं देती

तेरे चेहरे की कशिश।


कानों में घुलते वो मधुर स्वर

मदहोशी से भरी तीखी नजर,

भूलने नहीं देती

तेरे चेहरे की कशिश।


वो लेकर हाथों में हाथ

देना साथ होने का अहसास,

भूलने नहीं देती

तेरे चेहरे की कशिश।



वो सांसों की महक का

फिजा़ओं में अटक कर रह जाना,

भूलने नहीं देती

तेरे चेहरे की कशिश।



इस कशिश में है कोई जादूगरी

लाख मिटाओ, मिटती नहीं

यादों में बसी कुछ इस तरह

चाह कर भी दिल से निकलती नहीं।


Sonia Madaan ✍️



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