ख़ामोशी भी क्या कमाल करती है
आंखों आंखों में कई सवाल करती है।
बेहद नाजुक होते हैं रिश्तों के धागे
ख़ामोशी चुप्पी बनकर रिश्तों की संभाल करती है।
क्रोध में निकला शब्द बनती बात को भी बिगाड़ दे
ख़ामोशी बिन बोले ही गुस्से का इजहार कर देती है।
दिल में शंका के सौ तूफान उठते हों
ख़ामोशी भीतर ही दबा के कई उलझनों का समाधान करती है।
ख़ामोशी आंखों से उतरकर दिल तक बिखर जाती है
मन में उठती अनन्त भावनाओं का बखान कर जाती है।
खामोशियों की आहट वो ही सुन पाया है
जिसके स्वयं के जीवन में खामोशी का साया है।
जाने क्यों कहते हैं, खामोशी तो डर का हिस्सा है
ये तो सागर में उठती कई तरंगों का किस्सा है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उम्दा कृति
Shukriya Sandeep 😊
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