देश के अनमोल रतन व़ो देश के जांबाज सिपाही थे,
जो भारत मां की खातिर शहीद हुए पुलवामा में।
जब सजदे में अपने यार के सब फूल बिछा रहे थे,
वो भारत मां के सजदे में जान बिछा गये पुलवामा में।
जब आपदा में फंसे लोग तो परवाह खुद की न करते थे,
मातृभूमि की रक्षा हेतु वे अपना लहू बहा गये पुलवामा में।
आंधी-तूफ़ान, पर्वत ऊंचे भी रोक न उनको पाते थे,
देश की आन और शान में खुद को वार गये पुलवामा में।
भाई, बेटा, पति से पहले धरती मां के सच्चे सपूत थे,
जिस मां ने जन्म दिया उसकी बाहों को तरसता छोड़ गए पुलवामा में।
नहीं भूले उस जमीन को जो तुम्हारे खून से लाल हुई,
है नमन उन चालीस सैनिकों को जो कुर्बान हुए पुलवामा में।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.