युगो युगो से मैं बयां करती रही हूं
तेरे दर्द, तेरे जज्बात
तेरी कहानी, तुझसे जुड़ी हर बात
तेरा बलिदान, तेरा निस्वार्थ प्रेम
तुच्छ मानकर किया जाता रहा तिरस्कार
तेरा शौर्य, तेरी हिम्मत और
विजय गाथा को दरकिनार कर
संकीर्ण मानसिकता की आग में
झोंका जाता रहा नारी तुझे हर बार
तेरी पीड़ा को शब्दों में उकेरकर
मैंने बदलना चाहा तेरा इतिहास
पर न तेरी पीड़ा कम हुई ना ही रुके अत्याचार
मेरी स्याही भी करती रही रुदन बार-बार
पर अपनी ऊर्जा से तू डटी रही
रुकी नहीं, थकी नहीं
अब जाकर संघर्षों की आग में तप कर तू सोना हुई
तेरे अदम्य साहस और सहनशीलता ने
तुझे उस स्थान पर पहुंचाया है
जिसकी तू प्रारंभ से हकदार थी
अब बदला है जमाना क्योंकि बदल रही है सोच
अब लिखूंगी तेरी शौर्य गाथाएं जो फैलेंगी चारों ओर
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