आसमान में उड़ता बादल एहसासों के रंग से सजाया मैंने
कुछ सपने, कुछ मुस्कुराहटें, कुछ आशाओं के रंग मिलाएं उसमें,
सितारों ने भी उनमें अपनी झिलमिलाती रोशनी को बिखेरा है
यूं लगे जैसे अंधेरे को चीरता इक नया सवेरा है,
कभी पहुंच से मेरे दूर हो जाता, कभी करीब आता है
हवा का इशारा मिलते ही झूमता कभी, कभी इठलाता है,
मदमस्त हो कहीं-कहीं कुछ बूंदें ओस की टपकाता है
देखकर मेरे मन का रोम-रोम खिल जाता है,
मन चाहे ये बादल का टुकड़ा मेरे दिल में ही कहीं बस जाए
उड़े ना खोए कहीं, यूं ही मेरे संग रहे हर पल,
और वक्त भी थम जाए।
Comments
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उम्दा रचना
Thank you Sandeep
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