दर्द दिए जमाने ने बहुत
पर फिर भी हर हाल में मुस्कुराएंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
मौसम पल पल बदल रहा
हर बदलाव के संग ढल जायेंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
तूफान दिल में उठ रहा,
उसे भी पार कर आगे बढ़ जाएंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
नज़र जहां तक जाए, मु्श्किलें पर्वत बनीं
राह खोजते हुए पार निकल जाएंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
समुद्र में उठती लहरों के बीच
डगमगाई जो जीवन की नाव, न घबराएंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
अंधेरा मायूसी का डराने लगे अगर
तो मन में आशा की लौ जलाएंगे,
तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।
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