पहलू। (कविता)

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 06 Aug, 2020 | 0 mins read
Hindipoetry Together

दर्द दिए जमाने ने बहुत

पर फिर भी हर हाल में मुस्कुराएंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।


मौसम पल पल बदल रहा

हर बदलाव के संग ढल जायेंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।



तूफान दिल में उठ रहा,

उसे भी पार कर आगे बढ़ जाएंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।



नज़र जहां तक जाए, मु्श्किलें पर्वत बनीं

राह खोजते हुए पार निकल जाएंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।



समुद्र में उठती लहरों के बीच

डगमगाई जो जीवन की नाव, न घबराएंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।



अंधेरा मायूसी का डराने लगे अगर

तो मन में आशा की लौ जलाएंगे,

तेरे पहलू में आकर फिर कहीं न जाएंगे।




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Sonia Madaan

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