माँ...
आप सासु माँ बन ही
रहना.नहीं चाहती आप बनना कभी माँ
और
करना कभी
अपने छत्र छाया से दूर मुझे
आप
रहना सदा
अपने वास्तविक स्वरूप में
गर हो
सासु माँ तो
रहना सासु माँ ही बन।
गर
ये कहूँ कि
एक ने सिखाया है चलना
तो
आपने संभल
चलना सिखाया है जरूर
कहूँ
ये भी अगर
कि माँ तो होती है
एक
खुली धरा पनपा
देती है एक शिशु पौधा को
लेकिन
देती तो तुम ही हो
उसे बढ़ने के लिये एक खुला आकाश
ताकि
वो बढ़ सके
जी भर के एक अलग मजबूती संग
और
दे सके फल
फूल जी पूरे जीवन में
तभी तो
कभी डाँटती भी हो
तो कभी खड़ी भी हो जाती हो
सुरक्षा
भरे इँटो को
ले घेर भी देती हो
अपने
उस शिशु पौधे को ताकि
कोई छू भी ना सके वो दुखी हो भी ना सके।
सुना था बहुत
खून के रिश्तों की दूहाई
लेकिन देखा है मैंने इन रिश्तों
में ना जाने कितने रिश्ते हैं समाये इसलिए खास है मुझे ,दिल के पास है मेरे, यही तो एहसास है मेरे।
सासुमाँ आपको मदर्स दिवस की सादर बधाई💓
आपका शिशु पौधा🥀
®©विजय लक्ष्मी राय "सोनिया"
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