माँ चंद्रघंटा
अनंत ज्योति जगमग दृग अंगा,
स्वर्ण बदन सुवर्ण सुनंदा।
शोभे अर्धचन्द्र अतिरंगा,
सुयश सुवासित मातु आनंदा।
दश भुजा अस्त्र शस्त्र बहुरंगा,
वाहन सिंह व शक्ति अनंता।
न्याय हेतु रणभेरी सुखंता,
सुयश सुवासित मातु आनंदा।
कल्याणी कर कमल खिलंता,
सुमुखि सुरक्षित सुरभि करन्ता।
नयनामृत भव ताप हरंता,
सुयश सुवासित मातु आनंदा।
प्रणमामि हे माँ चन्द्रघण्टा,
अतुलित बल धन शक्ति अनंता।
देख अरि सुरलोक चलंता,
सुयश सुवासित मातु आनंदा।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी "आर्या"
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