हम अक्सर देखते हैं कि लोग अपनी सरकार और नेताओं को वर्तमान हालातों जैसे बेरोजगारी,गरीबी, भ्रष्टाचार वगैरह अनगिनत समस्याओं के लिये दोषी करार देते हैं कि ये सभी पक्षपाती ढंग से इस प्रणाली में भाव-शून्यता में काम कर रहे है।पर क्या सच में केवल ये नेता और सरकार ही पूरी तरह से जिम्मेदार हैं हर समस्या के लिए? अगर गहराई से विचार करें तो हम पाएंगे इस समस्या में समाज की भी स्पष्ट भागीदारी है। सरकार में जो लोग चुनकर जाते हैं वो हमारे बीच से ही होते हैं कहीं अलग से नहीं आते तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है कि चुनाव के वक्त निजी स्वार्थ नहीं बल्कि एक पूरे समाज की भलाई सोचकर वोट करें। याद रखिए सरकार कोई एक व्यक्ति नहीं है वो एक सिस्टम है जो जनता के द्वारा चुना जाता है जनता के बीच काम करता है और जनता के सहयोग से ही चल सकता है।
चुनाव प्रणाली में सुधार
जब तक जीवन है हर चीज में सुधार की गुंजाइश होती है और सरकारें चुनना मतलब एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी यानि कि बड़े बड़े फैसले लेना जो कि आर्थिक, सामाजिक ढ़ांचे को मजबूत या कमजोर तक करने की क्षमता रखते हैं।भारत में क्षेत्र के हिसाब से हमारा देश दुनिया में सातवें नंबर पर आता है और हमारी आबादी बहुत ज्यादा होने की वजह से चुनाव प्रक्रिया जटिल है।
निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से जुड़े लोगों पर अनावश्यक दबाव डाला जाता है और अक्सर इस कारण से वो निष्पक्ष कार्य नहीं कर पाते हैं।
चुनावों में सरकारी मशीनरी एवं जनता के धन का अनावश्यक रूप से खर्च होना व दुरुपयोग होता है।
तकनीक के प्रयोग से काफी सुधार
अब नई तकनीक के प्रयोग से काफी सुधार हुए हैं जैसे कि ईवीएम को उपयोग किया जाता है जिससे वोटिंग में बेईमानी ना हो। वोटर्स के लिए कंप्यूटरों द्वारा डेटाबेस तैयार किया जा चुका है जिससे फर्जीवाड़े पर रोकथाम कुछ हद तक हुई है। अब मतदान प्रक्रिया की वीडियोग्राफी होती है तथा जीपीएस का उपयोग करके मतदान केंद्रों की निगरानी भी रखी जाती है।ये सभी सुधार काफी महत्वपूर्ण हैं एवं इनसे फर्जी मतदान एवं ग़लत वोटिंग पर काफी रोकथाम हुई है।
सुधार की गुंजाइश अभी और भी है
निष्पक्ष चुनाव जो साफ-सुथरे ढंग से बिना फर्जीवाड़े के पारदर्शिता से हुए हों किसी भी देश एवं समाज की मूलभूत आवश्यकता हैं और साथ ही अपराध, बेईमानी एवं भ्रष्टाचार मुक्त समाज एवं देश की स्थापना के लिए बेहद जरूरी हैं ताकि हमारा भारत देश एवं समाज विकास, तरक्की और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सके।
कुछ सुझाव सुधार के लिए
चुनाव के दौरान नेताओं के भड़काऊ बयानों पर रोक लगे व कड़ाई से इसका पालन करवाया जाए ये निष्पक्ष चुनाव की एक मूलभूत आवश्यकता है।
मीडिया पर भी रोक लगनी चाहिए ताकि वे पेड़ एवं फेंक जानकारी चलाकर जनमत कै प्रभावित ना कर सकें और जनता खुद से अपना निर्णय ले सकें।
चुनाव अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों पर कोई राजनैतिक या अन्य दबाव ना हो जिससे वो अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा सकें।
एक सुदृढ़, अपराध, भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना के लिए चुनाव प्रणाली में संशोधन होते रहे हैं और समय के साथ होंगे व मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार व जनता की निष्पक्ष भागीदारी से हम अपने देश व समाज को सुदृढ़ बनाने में अवश्य सफल होंगे।
स्मिता सक्सेना
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बढिया लेख
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