क्रिसमस यूं तो मूलतः क्रिश्चियन लोगों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे सिर्फ क्रिश्चियन्स ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग हर हिस्से में धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे के पूरे चमकते हुए बाजार ना केवल यूरोप बल्कि भारत एवं अन्य कई देशों में क्रिसमस ट्री, उपहारों, केक और सजावटी सामान से सज जाते हैं। बच्चों को सैंटा क्लॉज द्वारा दिए गए उपहारों का इंतजार रहता है और हर्षोल्लास से तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
और अगर मुझसे पूछा जाए कि अगर ईश्वर शक्ति प्रदान करके मुझे एक दिन के लिए सैंटा क्लॉज बना दें तो मैं दुनिया को किस तरह के उपहार देना चाहूंगी तो मेरे ख़्याल से सबसे पहले तो मैं एक जायंट प्यूरीफायर लगाना चाहूंगी जिसमें इतनी शक्ति होगी कि वो ना सिर्फ वातावरण की सभी निगेटिविटी(प्रदूषण) (आखिर हम इंसानों ने ही अपनी पृथ्वी को गंदा किया है तो सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है) साफ करेगा बल्कि हर इंसान के मन से भी सारी नकारात्मक ऊर्जा(स्वार्थ, अपराधी प्रवृत्ति, स्त्रियों के प्रति यौन उत्पीडन संबंधी विचार हवा हो जाएंगे) निकाल कर उड़ा देगा। जी हां, है तो ये कोरी कल्पना ही पर अगर सच में ऐसा हो जाए तो सोचिए जरा, क्या दुनिया भर की आधी से अधिक समस्याएं स्वत: ही नहीं हल हो जाएंगी?
फिर भी अगर आप मेरी इस बात को कोरी गप्प ही मान लें तो फिर मेरा दूसरा प्रयास यह रहेगा कि इस दुनिया के हर इंसान और खासतौर से हमारी अगली पीढ़ी (हमारे बच्चे, हमारा भविष्य) को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि हर किसी को उसकी क्षमता भर कौशल(स्किल्स) जरूर प्रदान करना चाहूंगी ताकि ना केवल वह अपना जीवन सम्मान से जी सकें(अपना खानपान, कपड़े और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सके) बल्कि साथ ही हर व्यक्ति अपने काम को प्रसन्नता से करे ना कि बोझ समझकर।
साथ में इतना और इसमें जोड़ूंगी कि हर बच्चे/व्यक्ति को अपने आरंभिक जीवन में ही परिवार का महत्व पता चले, दया, मोह, ममता के धागों से उसका व्यक्तित्व संपूर्ण बने और हमारा विश्व रहने के लिहाज से एक बेहतरीन स्थान बने।
मुझे नहीं पता बाकी सब क्या सोचते हैं पर कभी कभी मुझे लगता है कि हमारे बच्चों को सिर्फ चमकते हुए खिलौने और महंगी चीज़ों से इतर भी देखना सिखाना चाहिए जैसे कि रिश्ते, तमीज, प्रेम, सम्मान देना, आत्मसम्मान से रहना इत्यादि भी महत्वपूर्ण है और शायद जीवन जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं और ये बातें हम सभी ने अपने जीवन के एक ना एक पड़ाव पर महसूस जरूर की हैं। बच्चों के जीवन में खिलौने का महत्व हो पर बचपन सिर्फ यही नहीं है लाइफ स्किल्स और अच्छी आदतों की नींव भी बस इसी समय पड़ जाती है।
तो क्यों ना हमारी अगली पीढ़ी ऐसी बने कि उपहारों के लिए किसी सैंटा का मुंह ना ताके और इतना आत्मविश्वास से भरपूर आत्मनिर्भर बनें कि जो चाहे वो खुद कर सकें।
ये थे मेरे कुछ अनोखे से विचार कि अगर मैं सैंटा होती इस क्रिसमस तो दुनिया को क्या उपहार देती...आपके क्या विचार हैं मेरे इन विचारों पर, कृपया कमेंट बॉक्स में लिखकर अवगत अवश्य कराएं।
स्मिता सक्सेना
बैंगलौर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well penned
Thank you Sonnu 😍
nice
Thank you Babita 😊
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