तलाक की वजहें और बढ़ती हुई दर - चिंतन का विषय....

तलाक की वजहें और बढ़ती हुई दर - चिंतन का विषय

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Smita Saksena
Smita Saksena 08 Jul, 2022 | 1 min read
Article Rootsandwingsbysmita Divorce

शादी-ब्याह का होना मतलब घरातियों बारातियों का जमावड़ा, ढ़ेर सारी रस्में, वीआईपी के जैसे दूल्हा दुल्हन और उनकी बलाएं लेते, न्यौछावर करते उनके घर वाले, खाना पीना, नृत्य और संगीत और क्या क्या बताएं बस यही कि ब्याह में दो परिवार, उनके रिश्तेदारों और दोस्तों पड़ोसियों के संग कुछ दिनों का उत्सव सा मनाते हैं। फिर विदाई और घूमना फिरना, रिश्तेदारों के घर जाना। 

फिर कब एक दो महीने यूं ही नयी शादी के खुमार और सबके प्यार में निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता। अब तक ना सब कुछ फिल्मों और सीरियल जैसा चल रहा था पर अचानक वास्तविकता से मुलाकात हो जाती है। थोड़े बहुत विवाद होना एक सामान्य सी बात है कि जब एक माता-पिता के दो तीन बच्चे भी एक जैसे नहीं होते तो पति-पत्नी कहां से एक विचारों के हो सकते हैं। 

उस पर सामंजस्य की कमी और अहं जहां आड़े आ जाता है वहां दूल्हा दुल्हन ख़ालिस पति पत्नी के रोल में आ जाते हैं एक दूसरे की कमियों पर छींटाकशी शुरू हो जाती है। जिम्मेदारियों का बोझ उन कंधों पर पड़ता है जो अब तक एक तरह की खुमारी में जी रहे थे। और अक्सर ऐसा देखा जाने लगा है कि कभी-कभी एक की या फिर दोनों की नासमझी से बात अलगाव तक आ पहुंचती है। जो एकदम सपनों के जैसी सुंदर जिंदगी चल रही थी अचानक सच के धरातल से सामना होते ही विवाद झगड़े के भंवर में फंस कर रह जाती है। जो जीवनसाथी कभी प्रेम की मूरत लगता था वहीं अब साथ रहने के योग्य ही नहीं लगता है और उससे छुटकारा पाना ही एकमात्र विकल्प लगता है। 

काफी बार देखा गया है कि कुछ प्रत्यक्ष तो कुछ अप्रत्यक्ष कारणों से हाल-फिलहाल में तलाक के केसेज में भारी बढ़ोतरी होती हुई दिखाई दी है। आइए जानते हैं उनके बारे में:-

घरवालों का हद से ज्यादा दखल

अक्सर देखा गया है लड़का या लड़की किसी के भी घरवालों का हल से ज्यादा दखल उनके रिश्ते को पनपने नहीं देता। ये दखलअंदाजी दीमक की तरह धीरे-धीरे खा लेती है उनके रिश्ते की नरमाई को।

आपसी सामंजस्य की कमी

अक्सर आपसी सामंजस्य ना बैठा पाना भी एक मूल कारण बनता है तलाक का। जब लड़का या लड़की अपने अहं की वजह से सामंजस्य बैठाने को तैयार ही नहीं होते। आजकल शादी भी बड़ी उम्र में होती है और एक उम्र के बाद लड़के या लड़की की पक्की हो चुकी सोच उनको रिश्ते में सामंजस्य बैठाने नहीं देती।

जिम्मेदारियों का बोझ एक अकेले पर डालना

आजकल के युगल कामकाजी होते हैं पर आज भी उम्मीद लड़की से ही की जाती है कि बाहर का काम घर का काम और ऑफिस वो एक सुपरहीरो की तरह संभाले। पर हर चीज की एक हद होती है जब लड़की एक हद के बाद थकने लगती है और हाथ बंटाने की उम्मीद पति से करती है तो टकराहट वहीं से बढ़ती है। इस टकराव को रोकने के बजाय अक्सर लड़के के घर वाले भी और बढ़ावा देते हैं कि घर का काम लड़की की जिम्मेदारी है। बस रिश्ते का टूटना उसी समय से शुरू हो जाता है।

कान के कच्चे होना/बातचीत से समस्या ना सुलझाना

अगर पति-पत्नी में से एक भी कान का कच्चा है और दूसरे के कहने में आकर अपने पति/पत्नी से तकरार करता है तो बात कभी सुलझने का नाम भी नहीं लेती। ऐसे लोग बातचीत से समाधान निकालने के बजाय दूसरों पर विश्वास करके अलगाव का मार्ग खुद ही खोल लेते हैं।

आर्थिक समस्या

कोई माने या ना माने पर पैसा बेहद जरूरी है इसकी वजह से झगड़ा विवाद अक्सर होने की संभावना बनी रहती है। अगर दोनों संतुलन बनाकर चलना जानते हैं तो ठीक वरना रिश्ते के टूटने की वजह अक्सर पैसों की कमी या मिसमैनेजमैट भी होता है।

दोनों कामकाजी होने से एक दूसरे के लिए वक्त ना होना

आजकल के युगल कामकाजी होते हैं और इस वजह से अगर दोनों का समय अलग-अलग हो या फिर कोई एक बहुत जल्दी/देर में आये तो एक दूसरे को समय ना दे पाने की वजह से झगड़ने की वजह बनती है और कभी कभी इन्ही बातों को बढ़कर तलाक तक पहुंचने में देर नहीं लगती।

पति-पत्नी में से किसी एक का हद से ज्यादा नकारात्मक होना

कोई भी रिश्ता नकारात्मकता पर नहीं चल सकता। अक्सर हद से ज्यादा नकारात्मक लोग अपने जीवनसाथी का चैन से जीना दुश्वार कर देते हैं तब भी तलाक का ही विकल्प बचता है क्योंकि इतने नकारात्मक लोग कभी भी बदलते नहीं हैं।

गैर पुरुष/स्त्री से विवाहेत्तर संबंध रखना/होना

शादी के बाद अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार ना होना, बेवफाई करना और किसी अन्य के साथ विवाहेत्तर संबंध रखना तलाक लेने की सबसे बड़ी और प्रमुख वजहों में से एक है।

मार-पीट करना या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना

अपने जीवनसाथी को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना एक प्रकार का अपराध है। अक्सर ऐसी प्रताड़ना रोज की बात होना और असहनीय हो जाने पर ये तलाक की एक प्रमुख वजह बनती है।

ये भी सच है कि....

सबकी शादीशुदा जिंदगी में परेशानियां आती ही हैं इसका मतलब ये नहीं है कि सिर्फ अलगाव या तलाक ले लेना ही इसका एकमात्र समाधान है। आपसी बातचीत से अक्सर बड़े बड़े मसले भी हल हो जाते हैं। सकारात्मक रहकर अपने रिश्ते को एक और मौका देना आपके अपने हाथ में है। फिर भी अगर रिश्ते इतने तल्ख हो चुके हैं कि कोई गुंजाइश ही नहीं बची है तो जिस तरह हम अपनी जिंदगी बचाने के लिए ऑपरेशन करवाकर अपना अंग अपने से अलग कर देते हैं बस तलाक भी कभी कभी उतना ही जरूरी हो जाता है। पहले के जमाने में तलाक/अलगाव को अच्छा नहीं मानते थे और स्त्री एवं पुरुष सारी जिंदगी यूं ही लड़ते झगड़ते बिता दिया करते थे। पर अब सब कुछ बदल गया है और अगर रिश्ते इतने खराब हो गये हैं कि कोई और विकल्प नहीं है तो सारा जीवन रोकर बिताने से बेहतर अलगाव का रास्ता ही चुन लेना चाहिए।


स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

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Smita Saksena

smita saksenal58p

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Padmakshi Asthana · 2 years ago last edited 2 years ago

    Very thoughtful Smita. Love the way you express. It's all to the point and without filter. Keep it up. Padmakshi

  • Smita Saksena · 2 years ago last edited 2 years ago

    Thank you so much Ma'am ❤️....for your kind words ❤️it means a lot to me ❤️

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