किसान, कृषक नाम सुनते ही एक असाधारण इंसान, जो अपने पसीने से माटी सींचकर व हाड़तोड़ मेहनत से अनाज के रूप में सोना उगाने का हुनर रखता है कि छवि आंखों में उभरती है और जिसकी वजह से अपनी थाली में स्वादिष्ट भोजन हम प्राप्त कर पाते हैं।
आज वही किसान अत्यधिक चर्चा में है परेशान हैं त्रस्त है वो भी इसलिए कि क्योंकि मौजूदा मोदी सरकार ने कुछ ही समय पहले कृषि सुधारों को लेकर तीन अहम विधेयक पास करवाए जो किसानों के स्वयं के हित में हैं तथा उनको स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है पर विरोध हो रहा है इसका क्योंकि हर किसी की थाली में जो अन्न पहुंचाए वो कहीं समर्थ ना बन जाए ऐसा सब सोचकर कुछ लोग विरोध करने भर के लिए विरोध कर रहे हैं और बातचीत करने की बजाय किसान ( हम भारतीयों के लिए हमारे सेना के जवान और हमारे किसान हमारे असली हीरो हैं) के नाम पर आंदोलन करके देश भर में कुछ अराजक तत्व अशांति फैलाना चाहते हैं जिसमें किसान बुरी तरह परेशान हैं और जिसके लिए सरकार को भी चाहिए कि हर किसान तक ये बात पहुंचे कि ये विधेयक उसकी आर्थिक सुरक्षा व सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक हैं और ये किसान विरोधी नहीं हैं। चलिए आज उसी किसान विधेयकों के बारे में जानते हैं जो किसानों के हित में ही हैं और जो कि निम्नलिखित हैं :-
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
इस विधेयक के अनुसार राज्य के भीतर या दो राज्यों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी होगी किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकेगा और केवल मंडी पर की उसकी निर्भरता कम होगी।
2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
ये बिल कृषि से जुड़े उत्पाद व फसल की बिक्री, फार्म सेवा, बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ किसानों को जोड़ने की सुविधा उपलब्ध कराता है तथा इसी के साथ किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज, तकनीकी सहायता तथा फसल बीमा वगैरह की सुविधा भी देता है।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस बिल के अंतर्गत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है ऐसा माना जा रहा है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी।
मौजूदा सरकार का कहना है कि ये तीनों ही बिल किसानों के पूर्णतया हित में हैं। इन विधेयकों के कानून बनने के बाद किसान अपनी मर्जी के मुताबिक अपनी फसल कहीं भी, किसी को भी और खुद अपनी तय कीमतों पर बेचने को स्वतंत्र होंगे। अभी ये बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के इंतजार में हैं जिसके बाद ये बिल कानून बन सकेंगे।
डर किसान का...
कुछ किसान इन बिलों के कानून बनने से अज्ञानतावश व सही जानकारी के अभाव में व राजनेताओं के उल्टे सीधे भड़काऊ बयान की वजह से डरें हुए हैं कि कहीं ऐसा न हो कि उनके उत्पाद की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ना हुई तो क्या होगा?
उनका डर ये भी है कि अगर सरकार द्वारा उनका अनाज व उत्पाद ना खरीदा गया तो वो किसे बेचेंगे अपनी फसल? दूसरे अभी तो सरकार द्वारा अनाज निर्यात व वितरित कर दिया जाता है फिर बाद में उन्हें स्वयं कैसे करना होगा ये भी परेशानी है। एक और डर ये है कि प्राइवेट कंपनी कहीं मनमाने कम दामों पर उनकी फसल ना खरीदें क्योंकि किसानों के पास फसल रखने व भंडारण लंबे समय तक करने की व्यवस्था नहीं है तो मजबूरी वश उन्हे वो बेचना पड़ सकता है।
भरोसा दिलाती सरकारी मशीनरी...
वैसे हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी किसानों को लगातार यह भरोसा दिला रहे हैं कि ऐसे डर किसान अपने मन में ना पालें क्योंकि इन विधेयकों के कानून बनने के बाद किसानों को फसल व उत्पाद बेचने के लिए कृषि उत्पाद बाजार समितियों या मंडियों पर ही निर्भर नहीं रहना होगा। ये कानून किसानों को स्वतंत्र रूप से अपना उत्पाद देश भर में कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता देंगे। इससे खरीदारों में प्रतियोगिता बढ़ेगी व किसान भी जो उसे बेहतर मूल्य दे उसे फसल बेच सकेंगे।
सबसे बड़ा फायदा तो ये होगा कि कानूनी रूप से मान्य बिचौलियों के ना होने से किसान सीधा ग्राहक, होटलों एवं फूड कंपनियों को अपने उत्पादों को बेच सकेंगे और जो बिचौलिए किसानों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा डकार जाते थे अब ऐसा नहीं कर सकेंगे तो किसान को अपनी कमाई का पूरा हक मिलने की उम्मीद है।
विरोध क्यों...
आखिर किसान अपने हित की बात का विरोध क्यों करेंगे सोचने की बात है। आखिर हर वक्त फसल बोने-काटने में लगातार व्यस्त रहने वाला किसान कभी स्वार्थी हो ही नहीं सकता कि वो जाकर चक्का जाम करेगा महीनों तक वो भी किसी शहर में? किसान हमेशा सबका भला सोचने वालों में से हैं जिसका भला आज सरकार सोच रही है तो कुछ लोग विरोध कर रहे हैं...कौन हैं ये लोग?
ये हैं वो विरोधी पार्टियां जिनको किसानों को गरीब और तकनीक से दूर रखना ही अपने हित में लगता है। ये हैं वो बिचौलिये जो बीच में घुसकर किसानों की कमाई खाते रहें हैं और अब उनकी बेईमानी की कमाई बंद हो जाएगी। ये हैं वो देश विरोधी ताकतें जो किसी भी तरह से अशांति देश में पैदा करना चाहती हैं। तो इन सबने भोले-भाले किसानों के नाम पर आंदोलन चलाने की ठानी और इन विधेयकों को जो ज्यादातर किसानों के लिए हितकारी हैं को विफल करने और कानून ना बनने देने की ठानी है और ये लोग आम जनता को किसान के नाम पर (भारतीय जनता के लिए हमारे सेना के जवान और हमारे किसान ही हमारे असली हीरो हैं) इमोशनल ब्लैकमेल करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं।
किसानों को स्वतंत्र व आत्मनिर्भर बनाने की कवायद...
पर आखिर सोचने वाली बात है कि किसानों को मंडी में ही जाकर अनाज व उपज बेचने की बाध्यता क्यों होनी चाहिए। इतनी मेहनत से उगाई फसल का मालिक बनकर उसे कहीं भी किसी को भी बेचने की उसे स्वतंत्रता क्यो नही मिलनी चाहिए? इन कानूनों के बनने से किसान सशक्त बनेगा अपनी मर्जी का मालिक होगा उसकी आय में वृद्धि होगी।
करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी. किसानों को अपने ही काम के लिए बार बार चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। सरकार द्वारा भी किसान की फसल की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी।
किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के समान हैं आज उनको प्रर्याप्त जानकारी के अभाव में बरगलाया जा रहा है और परिणामस्वरूप किसानों को ढ़ेरों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है पर किसी भी सुधार के कार्य में हमेशा वक्त लगता है और कुछ देश विरोधी व अशांति प्रिय तत्व भी अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं कि कुछ अच्छा व हितकर ना हो सके पर सुधार जो किसानों के अधिकतर हितों के लिए ही है मेरे ख्याल से उनका कानून बनना जरूरी है ताकि किसान आत्मनिर्भर बनें और स्वतंत्र भी बन सके और इसमें कुछ मुश्किल जरूर आएंगी जिसमें सरकारी मशीनरी और तंत्र को किसानों की पूरी सहायता करनी ही चाहिए जिससे किसान स्व हित को समझ कर अपनी उन्नति भी करें व देश हित में जिस तरह उन्नत कृषि उत्पाद व फसल पैदा करके योगदान देते आएं हैं वैसे ही आगे भी हमेशा देते रहें।
स्मिता सक्सेना
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👍👍👍
Charu Chauhan ji, Thanks
कृषि बिल सही है या ग़लत सरकार का कर्तव्य इसको समझाना है, अगर कुछ लोग सरकार की किसी नीति पर अँगुली उठा रहे है तो सरकार का फर्ज है उनकी बातें सुनना। ये बिल बिल्कुल बहुत सारे लाभ व फ़ायदे का है पर उसकी विपरीत हालातों में ये उतना ही नुकसानदायक भी हो सकता है।
शक्ति सिंह जी, बिल्कुल सही बात कही आपने...सरकार को और किसानों दोनों ही पक्षों को शांति से बातचीत का रास्ता जरूर निकालना चाहिए। मुझे इसमें फायदा यही सबसे ज्यादा लगा कि किसान आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनेंगे अपनी उगाई फसल के लिए खुद दाम तय कर सकेंगे और बिचौलिए उनके हक की कमाई को लूट नहीं सकेंगे। बाकी तो हर विधेयक व कानून के अगर लाभ होते हैं तो नुकसान भी होते ही हैं। किसानों को उनका वाजिब हक मिले बस यही मेरी कामना है। धन्यवाद पढ़ने के लिए 🙏
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