तुम्हारा इंतजार है.....

तुम्हारा इंतजार है....एक कविता....

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Smita Saksena
Smita Saksena 15 Oct, 2020 | 1 min read
Poetry

नहीं समझ सकोगे तुम, जानती हूँ मैं ये बात भी, टूटे धागे जुड़े हैं कभी, ना हुआ, ना होगा ये कभी” फिर भी एक आस है, तुम्हारा इंतज़ार है......

सुनो ना, कुछ कहना था मुझे आज तुमसे,

क्या सुनोगे मगर तुम वो बातें आज मन से?

चीख कर मैं नहीं चाहती करना बयाँ शब्दों में,

मेरी खामोशियाँ सुन सकोगे क्या बस मन ही में?

या फिर अपना ही सुकून खोजने आओगे यहाँ,

बेबसी है मेरी, देखना रोज़ प्यार को यूं मरते यहाँ।

“सिर्फ मेरा”, “सिर्फ मैंं”, क्यों नहीं हैं हम अब ‘हम’,

बता दो, खोल दो अब राज़, ताकि न रहे कोई गम।

मैंने था शब्दों को पिरोया बंद घुटन भरे कमरों में,

मैंने जिया वो सूनापन, वो रंज-ओ-गम अकेले में।

और पिए थे दर्द के कुछ कड़वे घूँट दिल ही दिल में,

नहीं आए तुम बाँटने पीड़ा को तब भी इस जीवन में।

नहीं समझ पाओगे ये तुम, जानती हूँ मैं ये बात भी,

टूटे धागे भी जुड़े हैं कभी, ना हुआ, ना होगा कभी।

नाराज हूँ, हताश हूँ, बेहद, तुम्हारे ना आने से भी,

और हैरान फिरती हूँ, तुम्हारे न समझ पाने से भी।

बीती जिंदगानी, बीते सुहावने सुबह-शाम साथ में,

अब तुम सुनते-समझते नहीं,चाहे कहूँ-ढालूँ शब्दों में।

फिर भी ना जाने कौन सी आस में यूँ मैं फिरती हूँ,

फिर धड़कने एक होंगी हमारी, दुआएं माँगा करती हूँ।

स्वरचित©

स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

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Smita Saksena

smita saksenal58p

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Mridula Srivastavava · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautiful composition👏👏👏👏..keep it up dear.....you are a shining star...🎉🎉🎉🎉

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautifully woven 💙

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