Smita Saksena
Smita Saksena 27 Nov, 2020
अवसाद....
जब कोई बोलना चाहे बोलने दो, मत रोको-टोको उसे, हमेशा डांटकर बस चुप मत कराओ कभी कोई बोलते से अचानक चुप हो जाएं, तो उस वजह का जरूर पता लगाएं वरना कहीं ऐसा ना हो कि पछताएं, क्यों पास रह कर भी नहीं समझते ये बीमारी खाती है भीतर ही भीतर, एक ऐसे सपने के जैसा है अवसाद जिसमें चीखना चाहो चीख ना पाओ, लोग दिखाई तो दें पर आवाज ना दे पाओ जैसे अदृश्य सा बंधन कोई और ना देख सके, ना छूट सके ना बंधन ही में रह पाएं देखिए किसी को यूं चुप तो बात कीजिए, उसके मन की आप थाह जरूर लीजिए फिर कोई अपनों से इस तरह ना बिछड़े....

Paperwiff

by smita saksenal58p

27 Nov, 2020

सुनो ध्यान से खामोशियां क्या बोलना चाहें....

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