आज सवेरे मेरी हाउस हैल्प निर्मला ने सवेरे फोन किया कि दीदी, मुझे पैसे चाहिए राशन एकदम खत्म होने पर है। मैंने पूछा अकांउट में ट्रांसफर कर देती हूं पर वो बोली कि फिर बैंक या एटीएम जाना पड़ेगा पैसे निकालने। मैंने फोन पर पैसे ट्रांसफर करने की सोची पर उसको वो भी नहीं पता दूसरे स्मार्ट फोन ही नहीं है तो एप कहां से आएगा। बोली मैं घर आऊंगी दीदी। घर आने के बाद बताने लगी कि बच्चों को ताले में बंद करके आई है ताकि वो बाहर निकल कर ना खेलने लग जाएं। खैर मैंने उसको कुछ एक्स्ट्रा पैसे भी दिए और बोला भी कि और जरूरत हो तो बताएं पर बोली नहीं दीदी अभी राशन ही चाहिए सिर्फ आप सभी(वो पांच छह घरों में काम करती है) से अभी जो मिलेगा उससे दो तीन महीने का राशन भर लूंगी तो बाहर निकलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसकी समझदारी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा सिर्फ आठवीं पास है निर्मला और सोच देखिए जरा, ओर जो पढ़े लिखे कहलाते हैं उनकी इस वायरस को फैलाने में मचाया उत्पात देखें तो निर्मला मुझे कहीं ज्यादा बेहतर लगती है। जब पहली बार आई थी काम करने तभी उसकी बातों ने मुझे प्रभावित किया था। बोली दीदी ,काम इसलिए नहीं करने आना चाहती कि रोटी नहीं मिल रही हम आराम से खाते पीते हैं हसबैंड ठीक कमाता है मेरा, पर मुझे अपने बच्चों को दूध-फल देना है ,उनको पढ़ाना है लड़की की शादी बीस साल से पहले और ठीक से पढ़े बिना नहीं करूंगी और मुझे अपना घर बनाना है इसलिए काम करना चाहती हूं। सपने तो हम सब देखते हैं पर इस तरह की उम्मीद, ऐसी सोच को सलाम है मेरा। आज आठ साल हो गए उसे हमारे यहां काम करते और हमेशा समझदारी से काम लेते देखा उसे। आज भी वो मुझे कुछ सिखाकर गई।
आज हम सबको भी इसी समझदारी को दिखाने की जरूरत तो है कि घर में रहना है और जो कुछ भी घर में है उससे ही काम चलाना है ताकि हम कोरोनावायरस को हरा सकें और जल्द ही एक नार्मल जिंदगी फिर से शुरू हो सके।
लॉकडाउन है ...क्वारंटीन पीरियड चल रहा है सो घर पर रहें...घर पर रहें...घर पर ही रहें...स्वस्थ रहें।
स्मिता सक्सेना
बैंगलौर
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