आज सोमवार के दिन से बेटी के स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लास शुरू हो गई। बेटी वैसे भी स्कूल और पढ़ाई बहुत पसंद करती हैं फिर लॉकडाउन की वजह से घर में बैठे हुए इतनी बोर , इतनी परेशान हो चुकी थी, सारा रूटीन बिगड़ा हुआ था सोने जाने का कोई निश्चित समय ही नहीं रह गया था। पर कल रात से जब से मैसेज आया बेटी इतनी खुश कि क्या बताऊं। पचास बार कहने पर भी जल्दी नहीं उठती थी। ज्यादा कुछ कहो तो क्या करूं जल्दी उठकर। फिर हम भी चुप हो जाते थे इसका क्या जवाब देते। घर के काम में हैल्प करती है पर इतनी बड़ी तो नहीं कि पूरी ही जिम्मेदारी उठा सकें। तो आज स्कूल की क्लासेज़ शुरू होने की बात सुनते ही क्या चमक आ गई उसके चेहरे पर। जल्दी सोई, जल्दी उठकर तैयार होकर नाश्ता खत्म करके लैपटॉप लेकर बैठ गई। अब मुझे भी समय मिला बिटिया रानी व्यस्त(स्कूल क्लासेज़ फ्राम होम) , बिटिया के पापा भी व्यस्त (वर्क फ्राम होम) और मैं अपने काम में लग गई। लोग अक्सर इंटरनेट के नुक़सान ज्यादा गिनाते हैं पर सकारात्मक चीजों की ओर ध्यान कभी जाता ही नहीं उनका। आज की परिस्थितियों में जब बाहर जा नहीं सकते, स्कूल, ऑफिस जा नहीं सकते तो इंटरनेट एक ऐसी मदद के रूप में उभरा है जो करोड़ों लोगों की मदद भी तो कर रहा है वरना बहुत कुछ रुक सा जाता।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और ये हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सा पहलू चुनते हैं। सब।वैसे हमेशा सकारात्मक पहलू चुनकर आशावादी सोच ही रखना श्रेयस्कर होता है।
स्मिता सक्सेना
बैंगलौर
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