पहली किस्त --
देश भर में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन कर दिया गया है जिसमें घर से बाहर ना निकलने की सलाह दी गई है क्योंकि इससे बचने का सिर्फ एक ही उपाय है जो कि है सोशल डिस्टैंसिंग, यानि कि हमें सामाजिक दूरी बनाकर रखनी है सिर्फ बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलना है।
अब सारा परिवार साथ है किसी को ना काम पर जाना है और ना ही बच्चे स्कूल जा रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि बोरियत भी हो ही जाती है कितना कोई मोबाइल या टीवी देखेगा और दूसरी बात ये भी है कि जब समय नहीं होता तब तो मोबाइल ,टीवी देखने को मन करता है पर जब जबरदस्ती आपको बोला जाए कि लो भई, पूरा समय देखो टीवी तो आप नहीं देख पाएंगे। हमारे घर में भी यही हुआ तीन चार दिन तो ठीक चला पर फिर सबको कैसे बिज़ी भी रखा जाए और सब काम तो ठीक चलें ही और बोरियत भी ना हो तो इसके लिए हमने अपने घर में कुछ टिप्स अपनाएं जो आपके साथ भी शेयर कर रही हूं-
1. हमने अपने घर की लॉफ्ट में धूल फांक रहे कैरम बोर्ड को निकाला और मैं, पति, बेटी और सास-ससुर ने काफी सालों बाद ये खेल खेला और यकीन मानिए सुनने में साधारण सी बात लगती है पर इतना मजा आया कि हम तीन चार घंटे खेलते रहे, जोश इतना कि पूछिए मत ऐसा लगा कि हम सब बच्चे बन गये थे। साथ ही हम सभी ने रिश्तों में एक नई ताज़गी का अनुभव तो किया ही दिल से कहीं और भी ज्यादा एक दूसरे से जुड़ से गये जो कि शायद लॉकडाउन की वजह से संभव हुआ वरना सामान्य दिनों में तो ये कभी भी संभव ही नहीं हो सकता था(ऐसी बीमारी कभी दुबारा न आए सिर्फ पॉजिटिव सोच रखें)। दोपहर का टाईम इतना बढ़िया बीता ना आज कोई सोया ना बोर हुआ।
शाम को सबने मिलजुल कर खाने और अन्य कार्य किये और साथ ही सुबह टीवी पर रामायण और शाम को महाभारत देखी। मेरी बेटी किताबें पढ़ने के शौक की वजह से रामायण व महाभारत की कहानियां जानती है पर आंखों से सामने चलते सीरियल को देखना उसके लिए भी एक अद्भुत और नया अनुभव था और हमारे लिए हमारा बचपन मानों फिल्मी रील सा गुजर गया सारी यादें ताजा हो गईं कि कैसे ना सिर्फ परिवार बल्कि पड़ोसी भी साथ मिलकर रामायण देखा करते थे। बेटी संस्कार, सभ्यता ,धर्म एवं संस्कृति को आत्मसात कर सकेगी मैं खुश हूं। दिन का इतना सुखद गुजरना भी शायद ईश्वर की कृपा ही है।
कुछ और पॉजिटिव पांइट्स -
घर के सभी लोग मिलजुल कर घर के काम कर रहे हैं
संबंधों की एक नई जुगलबंदी की शुरुआत हुई है।
कम से कम सामान में अच्छी स्वादिष्ट रेसिपी बनाने लगी हूं।
सब घर पर हैं तो कुछ दिन जल्दी उठने का दबाव नहीं ना टिफिन बनाने की जल्दी है तो चैन से सो सकती हूं और इस तरह अपनी ब्यूटी स्लीप ले पा रही हूं।
कामों में सभी के सहयोग से समय बचता है मनपसंद किताबें भी पढ़ रही हूं और साथ में लिखने का शौक भी पूरा कर रही हूं।
इस लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि परिवार जो कि हमारी भारतीय संस्कृति और समाज की सबसे महत्वपूर्ण एवं अटूट इकाई है फिर से इस संकट के समय में संकटमोचन की तरह हमारे लिए वरदान साबित हुआ है तो क्यों ना एक बार फिर से अपनी जड़ों की ओर वापस चलें ये समय मिला है तो जी लें परिवार के साथ भरपूर ढ़ंग से बिताकर। इससे हम खुद रिश्तों की क़दर फिर से करना सीखेंगे और अपने बच्चों को भी शिक्षा के साथ बेहतरीन परवरिश देने में सफल होंगे।
तो ये था आज का मेरा दिन, आप भी पॉजिटिव रहें ये जंग परिवार के संग और वो भी घर के भीतर से हम और पूरा भारत जीतकर ही रहेंगे।
स्मिता सक्सेना
बैंगलौर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.