आज का पूरा दिन किचन घर के मर्दों के हवाले किया हम स्त्रियों ने कि आज सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर के खाने तक सब कुछ करना होगा आप लोगों को। आश्चर्य की बात तो ये कि पापाजी और पतिदेव तैयार भी हो गये। फिर सवेरे से मैं तो आराम से उठी तैयार हो कर पहुंच गई डाइनिंग टेबल पर जहां सजी थी मेहनत इन लोगों की। सैंडविच और पोहा साथ में हम सबके लिए चाय और बेटी के लिए दूध। वाह इतना बढ़िया कि सोचा भी नही था। मैं टेबल पर पानी ना देखकर पानी लाने उठने लगी तो इन्होंने रोका और खुद ही लाकर दे दिया। हम सब बड़े खुश कि वाह इतने अच्छे से मैनेज कर लिया। हमें किचन में जाना ही नहीं शाम तक ये सोचकर मैं खुश भी थी और फिर स्वादिष्ट खाना मिले तो फिर दिक्कत ही क्या थी। दोपहर में बनाई मटर की तहरी और रायता, सीधा-सादा पर बहुत बढ़िया। खैर दोपहर बढ़िया गुजरी शाम को किचन में गई तो किचन की हालत देखकर मन किया रोने को जगह जगह सब्जी के छिलके, ब्रेड का चूरा, जूठे बर्तन और गंदा किचन पड़े हमको बुला रहे थे कि आओ मालकिन हमें संभालो देखो क्या हालत है हमारी🤪🤪 खैर गुस्सा तो आया पर दिन तो अच्छा गया तो सब भूलकर किचन संभाली फिर खाने का काम किया। वैसे दिन तो बढ़िया ही गया कम से कम इन लोगों ने मदद की और अपने सिर पर जिम्मेदारी लेकर काफी हद तक निभाई भी।
आपके घर में अभी आपकी मदद कौन कर रहा है हमें भी बताइए।
स्मिता सक्सेना
बैंगलौर
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.