आज के दिन किचन मर्दों के हवाले

किचन मर्दों के हवाले

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Smita Saksena
Smita Saksena 04 Apr, 2020 | 1 min read

आज का पूरा दिन किचन घर के मर्दों के हवाले किया हम स्त्रियों ने कि आज सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर के खाने तक सब कुछ करना होगा आप लोगों को। आश्चर्य की बात तो ये कि पापाजी और पतिदेव तैयार भी हो गये। फिर सवेरे से मैं तो आराम से उठी तैयार हो कर पहुंच गई डाइनिंग टेबल पर जहां सजी थी मेहनत इन लोगों की। सैंडविच और पोहा साथ में हम सबके लिए चाय और बेटी के लिए दूध। वाह इतना बढ़िया कि सोचा भी नही था। मैं टेबल पर पानी ना देखकर पानी लाने उठने लगी तो इन्होंने रोका और खुद ही लाकर दे दिया। हम सब बड़े खुश कि वाह इतने अच्छे से मैनेज कर लिया। हमें किचन में जाना ही नहीं शाम तक ये सोचकर मैं खुश भी थी और फिर स्वादिष्ट खाना मिले तो फिर दिक्कत ही क्या थी। दोपहर में बनाई मटर की तहरी और रायता, सीधा-सादा पर बहुत बढ़िया। खैर दोपहर बढ़िया गुजरी शाम को किचन में गई तो किचन की हालत देखकर मन किया रोने को जगह जगह सब्जी के छिलके, ब्रेड का चूरा, जूठे बर्तन और गंदा किचन पड़े हमको बुला रहे थे कि आओ मालकिन हमें संभालो देखो क्या हालत है हमारी🤪🤪 खैर गुस्सा तो आया पर दिन तो अच्छा गया तो सब भूलकर किचन संभाली फिर खाने का काम किया। वैसे दिन तो बढ़िया ही गया कम से कम इन लोगों ने मदद की और अपने सिर पर जिम्मेदारी लेकर काफी हद तक निभाई भी।

आपके घर में अभी आपकी मदद कौन कर रहा है हमें भी बताइए।


स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

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Smita Saksena

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