वो भटकती है!!

आज भी भटकती है वो।

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Shubha Pathak
Shubha Pathak 01 Nov, 2020 | 1 min read
#crime #justice #

रोकिए, रोकिए, गाड़ी रोकिए !! एक दर्द से भरी और कातर आवाज़ और सामने मूसलाधार बारिश में फंसी वो लड़की जो हाथ रोककर मदद मांग रही थी, विनय ने अचानक ही जीप के ब्रेक लगाए और उसे अपनी गाड़ी में बिठाया।

कहां जाना है तुम्हें और यहां क्या कर रही हो इतनी रात में?

खेत आयी थी काम से बाबूजी पर बारिश में यहीं फैंस गई, आपकी जीप देखी तो सोचा मदद मिल जाएगी, मुझे गांव जाना है, आप छोड़ देंगे?

हां, हां! मैं भी एक केस के सिलसिले में वहीं जा रहा हूं, एक लड़की की हत्या हुई है वहां, मैं यहां का नया एस. एस. पी. हूं!

हत्या नहीं बाबू सामूहिक बलात्कार और फिर गला रेंत कर हत्या!!

तुम्हें कैसे पता? तुम जानती हो लड़की और उन लोगों को?

इतने में ही अचानक गांव वालों का शोर और लाठियों से जीप पर अचानक ब्रेक लगाने पड़े। सबने विनय को घेर लिया और ले गए वहां पड़ी लड़की की लाश दिखाने।

हाथ - पांव कांपने लगे और विनय का चेहरा सफ़ेद पड़ गया उस लाश को देखकर जो अभी थोड़ी देर पहले उससे खुदकी ही आप बीती सुना रही थी क्यूंकि जो हुआ उसका कोई गवाह और सबूत नहीं था।

न्याय की आस में भटक रही है वो अब भी ना जाने किन - किन रास्तों पर!!


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