आओ नई शुरुआत करें,
एक नए भारत का आग़ाज़ करें।
ना हों जिसमें धर्म और जाति के भेद,
सुख - दुख हों साझे सभी के, मिट जाएं मन के सारे कलेश।
मुश्किलों में थामे रहें हम इक - दूजे का हाथ,
आए दुश्मन कोई भी लड़ें मिलकर एक साथ।
ना बैर हो कोई ना हों रंजिशें कहीं,
बस एकता और अखंडता ही हों पहचान नई।
एक से एक जब मिलता है तब बनता है अनेक,
विश्वविजयी होंगें हम जब स्वर हमारे होंगें समवेत।
ना करें पक्षपात किसी से कभी,
स्वस्थ समाज का दर्पण झलकेगा तभी।
भूलकर मैं सिर्फ हम बन जाएं,
एक नए गणतंत्र का आगाज़ कराएं।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👏👏👏👏👏
🙏 Bahut Shukriya Sonu💞
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