हजारों कसीदे पड़े गए तेरी शान में,
हजारों तारीफें लिखी गईं तेरी आन में,
कागज़ों पर उकेरा तुझे बड़े सम्मान से,
कहा हमारा मान है तेरे मान से!
पर ज़मीनी हकीक़त में तुझे रौंदा गया क़दमों तले,
चाहा गया तू अपना जीवन जिए औरों की छाया तले,
तू गुड़िया मशीनी बनकर जीती रही,
अपमान में भी मान का घूंट पीती रही,
वो दिखावटी मुस्कान तेरी दुनिया ना भेद सकी,
"मैं ठीक हूं सुनकर" तेरी वो तेरे आंसू ना देख सकी,
तू तड़पती रही बस अपनी एक पहचान बनाने को,
पर ना आए तब वो लोग सब साथ निभाने को।
अब चल पड़ें जो कदम एक बार तो उन्हें थामना नहीं,
दुनिया के कटाक्षों से तू अब खुद को बांधना नहीं,
जो कर सकती है तू दूसरों के जीवन में उजाला,
तो फिर क्यूं तूने आज तक खुद को नहीं संभाला?
ना आएगा कोई अब घोड़े पे सवार राजकुमार
कि अब खुद ही तू बन अपनी जीवन नैया की तारणहार!
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