Shubha Pathak
02 Dec, 2020
गुनगुनी धूप🌄
चलो आज किस्सा कुछ यूं बदलते हैं,
फिसलता है जो वक्त उसे रोक कर कुछ देर,
एक प्याली चाय तुम्हारे हाथ की,
और मेरे हिस्से की गुनगुनी धूप सेखते हैं!
☕✍️
Paperwiff
by shubhapathakhej2
02 Dec, 2020
सुबह का किस्सा☕
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