।।रौद्र रूपा।।

विनती माँ से...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 16 Oct, 2020 | 0 mins read

रौद्र रूपा बसो घट घट में,

घटा दो चित् की पीर....

हे माँ!! मेरे उर बसो,

करो मोहे धीर गंभीर।।

चित् की चिन्ता हनन कर राजो,

पधारो चित् के द्वार...

द्वेष बैर सब हर लो मोह से,

हो ऐसी कृपा अपार।।

पल पल बाधित, आकांक्षाएं आशंकित,

आओ आशंकाओं को चीर....

पतवार बनो माँ!! नौका की मेरी,

संग संग पार करो भव क्षीर।।


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Shubhangani Sharma

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