वाह!! बड़ी आँखे,
मनमोहक मुस्कान हैं...
कहने को तो घर की जान है...
पर थोड़ी छोटी है...
ये लड़की तो ना चलेगी बाबा...
सब कहेंगे ये तो गठान है।।
ह्म्म्म... इस कन्या के भी...
तीखे नैन नक्श हैं....
गृह कार्य में दक्ष है...
पर इसमें भी समस्या भारी है...
लोग कहेंगे काली माता आई है।।
लंबी छरहरी काया है,
चेहरे पर अलग ही माया है...
जहां जाए वहाँ रौनक लग जाती है,
इसकी बातें तो सबको ही लुभाती है।
पर एक परेशानी तो यहां भी खड़ी है...
सब कहेंगे कि ये तो सीढ़ी है।।
मासूम सा इस लड़की का चेहरा है,
चंचलता का व्यक्तित्व पर पहरा है।
हर गुण भरपूर इसमें समाया है,
साथ में पायी दोहरी काया है।
हर वस्तु यहाँ तो दोहरी ही लगेगी...
ये लड़की तो है मोटी...
जो बिल्कुल भी नहीं चलेगी।।
छोटी, काली, लंबी, मोटी,
हर लड़की की यही पहचान है।
मैं भी इनमें से हूँ एक,
पर मुझे मेरे होने का भान है।
पर एक सवाल मेरा भी है,
सुंदरता के पहरेदारों से...
क्या हो जाएं हम, एकसार दीवारों से??
हाँ, मैं जो हूँ संतुष्ट हूँ...
नहीं स्वयं से रुष्ट हूँ...
मैं कितनी "आदर्श" रहूंगी,
जो काफ़ी होगा..
जब मेरे अस्तित्व पर...
कोई सवाल ना होगा।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wahhh....
बेहतरीन सृजन
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