बेतहाशा

जहाँ कोई हद हो, वही बेहद है।। जब कुछ बेहद है , वही दिल की हद है।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 23 Oct, 2020 | 0 mins read
Be limitless.

बेतहाशा बेसबब होता है

कब नहीं और कब तलक होता है।।

होता है जब बेअदब होता है

रूह से रूह तक होता है।।

सहर से दूजी सहर तक होता है

मुझसे निकल तुम तलक होता है।।

हो जाये जो एक दफा,

तो मौत तक होता है।।

आंखों की किनोरों से,

जिस्म के हर कोर तक होता है।।

तुमसे किया है,

तुम तलक होता है।।

दर्द हो या इश्क़ पूरा ही तब होता है,

रोम रोम ना डूबा जब तलक होता है।।

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Shubhangani Sharma

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