जब देखा आईने में चेहरा, एक अजनबी नज़र आया।। चेहरे के साथ एक और चेहरा, हर पहर नज़र आया।। दो चार घड़ी बैठ साथ मेरे, आईने में मेरे अक्स ने फ़रमाया।। चेहरा मेरा खोया हुआ है भीड़ में, मेरे एक और चेहरे ने ये समझाया।। तो चल बदल देते हैं क़िरदार अपना, मैंने अपने भीतर के चेहरे को बहलाया।। आज फिर अक्स मेरा, चेहरा मेरा... मुझे अजनबी सा नज़र आया।। शुभांगनी शर्मा
मेरा चेहरा
चेहरा बोलता है....
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
09 May, 2021 | 1 min read
Reflexion
Face speaks
Self realisation
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