यूं तो गैरों को भी दिल अपना बना लेता है साहब ,
बात तो तब है जब तू देखे और मैं दरिया हो जाऊं।।
तू तलाशे अपनी मंजिल सिर्फ मुझ में ..
मैं तुझे वो पाने का ज़रिया हो जाऊं।।
ना कोई शोर ना वक़्त मुखातिब हो हमसे..
इतनी शिद्दत हो तेरी चाहत में,
मैं सहर से तपती दुपहरीया हो जाऊं।।
तेरे सिर पर जो ना साया हो कोई,
मैं काली घनी बदरिया हो जाऊं।।
न तुझे मुझसे शिकायत हो कोई,
ऐसा मैं हम नज़रिया हो जाऊं।।
मैं बनूँ रूह तेरी, और तू मेरी,
ना भेद हो कोई, मैं भी तेरी साँवरिया हो जाऊं।।
इस तरह मेरे ज़हन में समा जा तू..
कि सोचूं तुझे और मैं धानी लहरिया हो जाऊं।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह
Thanks Sonnu ji❤️❤️
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