तेरे ख़याल

तेरा ख़याल है जो जाता नहीं, तेरे सिवा और कुछ भाता नहीं।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 01 Feb, 2021 | 1 min read
#poem8 #1000poems

भोर बनारस सी, शाम अवध सी, करतें हैं।

हम तेरे ख़यालों से मन भरा करतें हैं।।


जो हम वक़्त से पहले जाग जाया करतें हैं, 

उन्हीं लम्हों में हम जी लिया करतें हैं।।


कुछ ताकते हुए अक्सर खो जाया करतें हैं,

हर कोने में बस तुझे देखा करतें हैं।।


तेरा खयाल है जो कभी ख़त्म नहीं होता,

हम हर लम्हां ख़त्म हो लिया करतें हैं।।


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Shubhangani Sharma

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