मायूस ये दिल

जिसे हम बॉलीवुड कहते हैं...बचपन से हमें इसने बाँध कर रखा है, खुशी दी है। और हमारा मनोरंजन बेहिसाब किया है। पर आज की स्थिति देखकर उससे मोहभंग होता जा रहा है। ये है हमारे दिल टूटने का सफर।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 24 Sep, 2020 | 1 min read


यह कैसे हैं लोग, यह कैसे मुखोटे है यहां, 

जगमगाते तो हैं सितारे,

पर बुझा बुझा सा है आसमां।।

बाजार ऐसा, कारोबार है नुमाइशों का जहाँ...

है हर कोई तन्हां, कैसा है ये कारवाँ।।

हर एक किस्सा, हर किरदार में,

हो... खुदा होने का गुमाँ...

हर कदम पर सजदा करें, 

हम हो जाएं उनपर फ़ना।।

उनकी खुशियों से.. खुशी,

उदासी में अश्क़, हैं ये कैसे रहनुमा।।

बचपन से तराने गुनगुनाये तुम्हारे,

तुमने ही ज़िन्दगी बनायी ख़ुशनुमा।।

लबरेज़ थे हम तुम्हारे जज़्बातों से,

ज़िन्दगी थी हमारी ख्वाबों सा जहां।।

तुम्हारे कहे हर अल्फ़ाज़, 

छाप छोड़ते थे दिल पर..

बनते थे महफ़िल के हम भी शाहजहाँ।।

ख़्वाब तुम्हारे गगनचुंबी...दिलों में कई के,

ऐसे हो तुम जहांनुमा।।

पर आज थोड़ा नाराज़ है ये दिल,

उजड़ा हो जैसे गुलिस्तां।

बेरंग, बदरंग से लगते हो अब तुम,

क्यों दाग सजाए बैठे हो बदनुमा।।

हुआ आखिर मायूस ये दिल तुमसे,

अब नहीं तुम हमारे ख़्वाबों का जहाँ।।











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Shubhangani Sharma

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