दूर ही रखो ज़रा, उन ख़यालों को... ना करीब आने दो.. दर्द दे जो दिल को, उन बातों को तो बस बह जाने दो।। थाम लो वो लम्हां, जो सुकून दे जाए दिल को... करीब बैठो ज़रा दो घड़ी, ख़ुदको, खुदके तो पास आने दो।। ना बांध जज़्बातों को, आँखों के किनारों से, जो बहे अश्क़ तो ज़रा, बेतकल्लुफ़ हो बह जाने दो।। सुनों!! थोड़ा आराम... अपनी पेशानी को भी तो दो, लकीरों को ज़रा, समतल तो हो जाने दो।। हर बार हर जगह, क्यों बेहतर होने की चाह है?? एक बार ख़ुदको, दौड़ से बाहर तो हो जाने दो।। शुभांगनी शर्मा
दौड़ से बाहर
थोड़ा सुकून ख़ुद को भी दो, दौड़ से बाहर होकर....
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
02 May, 2021 | 0 mins read
Relax
Be positive
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
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