निबोरी की खुशबू

बचपन की हर वस्तु हमारे दिल के करीब होती है। चाहे वो खुशबू ही क्यों ना हो।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 09 Sep, 2020 | 1 min read

जानी बूझी सी सुगंध आती है, 

नीम के पेड़ से।

चली हो बयार जैसे, 

यादों के ढेर से।। 

आराम ना था, 

पैरों की चरखी को। 

ना डर था हमें, 

कोई देर अबेर से।। 

एक पैसे से जब हम.. 

दुनिया जीतने का दम रखते थे। 

खोज लाते थे खुशियां, 

तब हम मिट्टी के ढेर से।। 

पकवानों से नाता.. 

थोड़ा हमारा छोटा था। 

खिल जाती थी मुस्कान, 

एक छोटे से बेर से।। 

आंसू का आना भी, 

होता था मेहमानों की तरह। 

उदासी की चिड़िया ना बैठी कभी,

दिल की मुंडेर पर।। 

सिर्फ मोगरे की ही नहीं, 

निबोरी की खुशबू भाती थी हमें... 

जो आती थी हमें नीम के पेड़ से।।


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Shubhangani Sharma

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