हाँ, वो एक पर्व ही था, जब उनके खुरदरे हाथों ने... माथे को छुआ था।। हाँ, वो भी एक पर्व था, जब मेरे मन को, उसके अपनेपन ने छुआ था।। हाँ, वो भी एक पर्व था, जब अजनबियों के साथ, सफर जान पहचान का हुआ था।। हाँ, वो भी एक पर्व था, जब मेरे नन्हें ने मुझे, माँ कहा था।। हाँ, वो एक पर्व था, जब प्रकृति को, रंगों ने छुआ था।। हाँ, वो एक पर्व था, जब दिल की मुस्कान ने, होठों को छुआ था।। हाँ, वो एक पर्व ही था, जब सहसा आगमन, किसी अपने का हुआ था।। हाँ, वो एक पर्व था, जब किसी डूबते को सहारा, तिनके का हुआ था।। हाँ, हर वो क्षण पर्व था, जब मेरे ईश्वर ने, किसी ना किसी रूप में... मेरे जीवन को छुआ था।।
वो एक पर्व
जीवन एक पर्व है...हर कण, हर क्षण में ख़ुशी अनुभव करना हमारा कर्तव्य है।
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
02 Apr, 2021 | 0 mins read
Life is a festival, enjoy every bit of it.
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