सिर्फ कठोर नहीं होते पुरुष, कई बार दिल से भी रोते हैं पुरुष।। उलाहना हर बार, सहते हैं, भीड़ में भी खोते हैं पुरुष।। अपनी जिम्मेदारियों का भान कर, अक्सर चुप रहते हैं पुरुष।। छवि एक रावण की पा कर भी, मर्यादा में रहते हैं पुरुष।। सिर्फ़ दुःशासन और दुर्योधन नहीं, राम और कृष्ण भी होते हैं पुरुष।। प्यार हो कितना भी दिल में, पर कुछ नहीं कह पाते पुरुष।। हर जगह, हर बार, हर कहानी में, गलत नहीं होते पुरुष।। सृष्टि है स्त्री अगर, तो जीवन होते हैं पुरुष।। शुभांगनी शर्मा
पुरुष
पुरुष...
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
26 May, 2021 | 1 min read
Man will be man.
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उम्दा कृति
बहुत खूब
Thanks dear Sandeep and Charu
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