पीर की कविता

निःसंकोच बहुत कुछ सहा होगा, जब किसी कवि ने कुछ अनकहा कहा होगा।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 27 Jan, 2021 | 1 min read
#poem6 #1000poems From writer's heart.

वो पीर निःसंकोच हिमालय सी रही होगी

जब आंखों से अश्रु की गंगा बही होगी।।


वो अनकही भी तो कुछ खास रही होगी,

जो बंद अधरों से मौन ने कही होगी।।


जो सदियों से चट्टानों पर बही होगी 

वो नदी तो खरोंचों से मुक्त नहीं होगी।।


जाने कब तक उसने राह भी तकी होगी,

तब जाकर उसकी सुनी आँखें थकी होगी।।


असंख्य काँटों की पीड़ा आत्मा ने सही होगी

उसी आत्मा ने पीर की कविता कही होगी।।





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Shubhangani Sharma

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