अधिक

संतुलन में रहना बहुत ज़रूरी है। कुछ भी अधिक होना हानिकारक है।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 25 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems #poem12
जहाँ कुछ हो अधिक, 
वहीं तू रुक जाएगा पथिक।।

प्रेम अधिक, 
पीड़ा अधिक।।

क्रोध अधिक, 
मानसिक अवरोध अधिक।।

घृणा अधिक, 
हृदय में कुंठा अधिक।।

संबंधों में रोष अधिक,
देखेंगे दूजे के दोष अधिक।।

उत्तेजना अधिक, 
तय है खोना चेतना का अधिक।।

अधिक से धिक्कार की यात्रा,
दूर नहीं अधिक।।

हे पथिक, मन को बांध ले....
बस, संतुलित हो, 
ना सोच अधिक।।
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Shubhangani Sharma

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