यूँही नहीं हम हर पहर, लिखा करते हैं, दिन को रात, रात को सहर, किया करते हैं दोस्तों।। बिन सुने कुछ ज़्यादा, समझ लिया करते हैं, अपने दिल को लिख... दिया करतें हैं दोस्तों।। अनकहे जज़्बातों को, अल्फ़ाज़ों में पिरोया करते हैं, बस यूँही ख़ुदको एहसासों में, डुबोया करते हैं दोस्तों।। अपने शब्दों को... धार दे दिया करतें हैं, वक़्त पर अपनी तलवार, उठा लिया करते हैं दोस्तों।। मुकम्मिल हों या अधूरे हो ख़्वाब, दोनों को संजोया करते हैं, तन्हाइयों में भी खुद को, पा लिया करते हैं दोस्तों।। दर्द पर के, अपना लिया करतें हैं, हिस्से के अश्क़ उनके, बहा लिया करतें हैं दोस्तों।। एक उम्र में कई ज़िन्दगी, जिया करते हैं, हम यूँही नहीं कुछ भी, लिखा करतें हैं दोस्तों।।
हम यूँही नहीं लिखा करते
एक ही जीवन में कई एहसासों को जीने वाले हम....लेखक।।
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
22 Dec, 2020 | 0 mins read
From writer's heart.
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह.....! सच हम यूं ही नहीं लिखा करते 👏
Thanks charu.
Amazing stuff
Thanks dear
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