अपने घर गया

सूर्य से कुछ शिकायतें, कुछ बातें मेरे दिल की।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 02 Dec, 2020 | 0 mins read
Missing Sun... Dusk and Dawn.
आज जो सांझ, 
मैंने तुम्हें छत से देखा, 
मेरा ये अबोध दिल, 
ग्लानि से भर गया??

कबसे मैंने तुम्हें, 
मन भर कर नहीं देखा, 
ना तुमको आलिंगन में भर के,
मन को सेका।
तू मेरे साथ, 
ऐसा कैसे कर गया?? 
बिन मिले, बिन बोले, 
आज फिर तू अपने घर गया।।

जीवन के दौड़ में, 
भाग लेते लेते, 
मैं भी निष्ठुर हो जाती हूँ।
ना भोर मेरी तेरी होती है, 
ना साँझ को मिल पाती हूँ, 
तुमसे मिले हुए, 
एक अरसा गुज़र गया।
पर मैं तो क्रोधित तुमसे हूँ, 
तू मेरे साथ, 
ऐसा कैसे कर गया??

चलो मुझे एक वचन ही दे दो, 
मेरे घर में ही रह जाओगे, 
अपनी रश्मि से हर दिन, 
मुझे ना सही मेरे घर को ही, 
स्नान कराओगे।
खुश हो लेंगे हम यूँही, 
हम ना सही, 
हमारा घर तो तर गया।।

प्रसन्नता से आज फिर... 
सूर्य अपने घर गया, 
मुझसे बिना मिले फिर आज...
मुझे खुद से वंचित कर गया।।


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