ग़म

जीवन का एक हिस्सा ये भी...ग़म!!!

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 25 Jan, 2021 | 0 mins read
#poem3 #1000poems
अक्सर कुछ ग़म,
ऐसे हुआ करते हैं,
सहने वाले को लोग,
बीमार कहा करते हैं।।

कुछ ग़म तो आदत में
शुमार हुआ करते हैं,
हाल ए दिल जो भी हो…
वो ग़म तो त्यौहार हुआ करते हैं।।

ग़म हमारे तो..
अपने हुआ करते हैं,
लोग तो झूठी खुशियों का…
व्यापार किया करते हैं।।

हम तो दूजे के ग़म भी..
अपना लिया करते हैं,
उनको अपना बना…
जिया करते हैं।।

ग़म में गुम कर ही,
जाना हमनें…
ज़िंदगी नाम है जिसका,
वो शय इसी ग़म को
कहा करते हैं।।
    
  
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Shubhangani Sharma

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