बून्द

कुछ नहीं तेरे मेरे दरमियाँ अब, ना जाने तू मुझसे होगा जुदा कब।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 06 Nov, 2020 | 0 mins read
Eternal love

मैं बून्द बून्द भर गया ख़यालात से तेरे,

मैं रिसता गया और खाली भी ना हुआ।।

छुआ था तुमनें मेरे मन को कुछ इस तरह,

मैं भीड़ से गुज़रा पर मुझे किसी ने ना छुआ।।

मैं सदियों तलक जलता रहा, तेरे ना होने से,

ना कहीं शोर हुआ ना कहीं उठा धुंआ।।

मैंने सारे तकिये अपने छुपा दिए कहीं,

क्या गरज़ उनकी, जब तेरा कांधा ही मेरा ना हुआ।।

बड़ी मुद्दतों बाद ये होश आया हमें,

हमनें तो झूठ को, अपना ईमान था बनाया हुआ।।

हर वजह बेवजह हो जाती है, जब तुम वजह बन जाते हो,

फिर क्या हुआ गर तू ही मेरा ना हुआ।।

अच्छा हुआ जो मैंने तुम्हें कभी पुकारा नहीं,

तुम ना आते तो, होता हर पल अफसोस में डूबा हुआ।।

ये सब्र भी अब अब्र सी उड़ रही है आहिस्ता से,

जुड़ा जो तुझसे वो हर शख़्स अब फ़ना हुआ।।

गिने नहीं जाते अब उंगलियों पर साल,

हर लम्हें में एक साल है समाया हुआ।।

ना तेरे होने की खुशी, ना तेरे ना होने का ग़म,

बस एक बूंद है आंखों में, और उस बूंद में है सागर समाया हुआ।।



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Shubhangani Sharma

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