कुछ एहसास...

कुछ एहसास.... बस दिल जानता है।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 19 Feb, 2022 | 0 mins read
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कई एहसासों की ओट में,

मैं कुछ एहसास छुपा लेती हूँ।।


तुम्हारी कही अनकही बातों से,

मैं कुछ नयी बातें बना लेती हूँ।।


हर टूटे हुए लम्हे को जोड़कर,

मैं यादों से रिश्ता निभा लेती हूँ।।


तुम्हारी बातें तो तुम ही जानों,

मैं तो तुम्हारे झूठ को भी सच मान लेती हूँ।।


जो कभी तुम ना सुन पाओ मेरी बातें,

मैं आईने को सबकुछ सुना लेती हूँ।।


तुम तो चाँद हो चमकते हुए,

मैं तुम्हारी चाँदनी को ही अपना बना लेती हूँ।।


दूरियों के तलबगार तो हम भी ना थे,

पर अब दूरियों को ही किस्मत बना लेती हूँ।।

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Shubhangani Sharma

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