समझ से परे प्यार...

ये कैसा प्यार है....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 02 Feb, 2023 | 1 min read
Is this love?

मेरी समझ से परे है वह प्यार...

जो सिर्फ़ ख़ूबसूरती देखना चाहता है।।


जो सिर्फ़ अपने आलिंगन में बैठा, 

अपनी बातों में डूबना चाहता है।।


ये कैसा प्यार है जो अपने मन का ना होने पर... 

क्रोध बन जाना चाहता है।।


क्यों स्वयं जल कर भी...

अपने प्रेम को जलाना चाहता है।।


मेरी समझ से वाक़ई परे है वह प्यार, 

जो स्वयं की संतुष्टि के सिवाय

कुछ और नहीं चाहता है।।


क्यों ये प्यार नहीं हो जाता अश्रु सा...

जो बस हर एहसास में साथ हो

बह जाना चाहता है।।


ऐसा प्यार जो चट्टानों से टकरा कर भी, 

बस दरिया सा बहना और

अपनी राह बनाना चाहता है।।


शुभांगनी शर्मा

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Shubhangani Sharma

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