नयना मेरे

नयनों की बोली नयना ही जाने....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 09 Dec, 2020 | 0 mins read
Eyes speak..
सोचती हूँ... 
कहाँ से ये अथाह...
जल स्त्रोत लाते हो।
क्षण में हो सूखे, 
क्षण में तर हो जाते हो।।
सुख हो या दुःख, 
बस यूँही भीग जाते हो।
नयना मेरे, क्यों... 
भ्रम जाल फैलाते हो।।
कोरों को अपनी, 
काजल से सजाते हो।
देख किसी को, 
बस यूँही हर्षाते हो।।
बोलो ना, नयना...
क्यों झुक जाते हो??
ताक कर जी भर के, 
फिर शर्माते हो।।
विचलित हो, सरपट...
विचरण कर आते हो।
कितने लोभी हो, 
कितना ललचाते हो।।
नयना मेरे, बड़े...
निर्मोही बन जाते हो, 
जब देख कर भी किसी को, 
नयना चुराते हो।।
कई बार मुझे...
धोका दे जाते हो।
जब ना ना कहकर भी, 
हाँ कर जाते हो।।
बोलो ना नयना, क्यों तुम...
बस यूँही बातें बनाते हो। 
बस यूँही हर बात पर, 
तर हो जाते हो।।


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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा कृति

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद संदीप जी

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