पिता...तुम्हें कुछ नहीं पता।

सिर्फ़ पिता....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 20 Jun, 2021 | 1 min read
Father's day

पिता!! तुम्हें तो कुछ पता ही नहीं...

पता ही नहीं कि किस तरह प्यार जताते हैं।।


सुनते तो हो हर वक़्त हमको,

ये भी तो कहो कैसे उछल कर बतियाते हैं।।


मत छुपाया करो दर्द को हमेशा,

ये पिता ही हमें सिखलाते हैं।।


फ़िर भी अक़्सर अकेले ही,

ये मज़बूत पिता दर्द में डूब जाते हैं।।


चूमते ही माथा हमारा, 

अपने माथे की लकीरें भूल जाते हैं।।


ये पिता, अपनी हाथों की लकीरों को मिटा,

हमारी किस्मत को बनाते हैं।।


तुम्हारे खिलौने हम सब हैं दाता,

और ये पिता हमारे खिलौने बन जाते हैं।।

                            शुभांगनी शर्मा

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