ना प्यार में झुक जाना तुम, ना चाँद तारे तोड़ लाना तुम... चाहूँ ना मैं तुमसे कुछ भी, बस होले से साथ निभाना तुम।। ना हाथों में हाथ लिए, मेरे मन को बहलाना तुम... ना आँखों में भर मुझको, सैर अम्बर की कराना तुम... बस देखूँ जब भी भीड़ में तुम्हें, मुझे देख प्यार से मुस्काना तुम।। ना तोहफ़े महंगे वाले, मेरे जन्मदिन पर लाना तुम... ना सैर उड़नखटोले से, दुनिया की करवाना तुम... थाम तुम्हें जी जाऊंगी मैं, बस... चुपके से एक मीठा पान ले आना तुम।। शुभांगनी शर्मा
बस चुपके से...
सादगी वाला प्यार...
Originally published in hi

Shubhangani Sharma
02 Feb, 2023 | 1 min read
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wow! it's a nice poem.
Thank you so much.
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