खेल पसंद का...

खेल पसंद का...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 20 Apr, 2022 | 0 mins read
Liking

बड़ा दिलकश सा खेल पसंद का,

पान में स्वाद हो जैसे गुलकंद का।।


ऐसा मीठा है खेल पसंद का...


लग जाये ज़बान पर तो ताज़गी दे,

लबों पर सुकून बिखर जाए मंद मंद सा।।


यूँ दिलकश है खेल पसंद का...


पसंद के आगे कुछ और ना भाए मन को,

चाहे ले आओ टुकड़ा चाँद का।।


यूँ ठगता है खेल पसंद का...


पसंद के लिए लड़ जाऊँ जग से,

ज़रिया है ये दिल के आनंद का।।


यूँ क़ातिल है खेल पसंद का...


शुभांगनी शर्मा

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Shubhangani Sharma

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