प्यार के जो नए मायने बताए आपने,
ज़िन्दगी को जो नए रंग दिखाए आपने,
फिर वही नाराज़गी का रंग क्यों है,
और रंगों से वो गहरा क्यों है।।
नीला जो प्यार का,
पीला ऐतबार का.. रंग है ज़िन्दगी में,
फिर क्या कमी है हमारी बंदगी में,
बस नाराज़गी का रंग उभर आता है,
बना सब कुछ बिगड़ जाता है।।
हर रिश्ते पर इस रंग का पहरा क्यों है,
सब रंगों से ये गहरा क्यों है।।
लाल इज़हार का, मखमली प्यार का,
लुभाये सभी को, दिल के इकरार का...
इस रंग ने तो दुनिया सजाई है,
फिर भी ये गहरे रंग की देता दुहाई है,
गहरे रंग से ये सिहरा क्यों है,
नाराज़गी का रंग इतना बहरा क्यों है।।
गुलाबी-हरा रंग है ख़ुशी,
यहां भी गहरा रंग है दोषी,
यहाँ सब कुछ ठहरा क्यों है,
गहरे रंग से.. रंगा चेहरा क्यों है।।
थोड़ा सब्र और इत्मिनान,
भर देगा गहरे रंग में जान,
रिश्तों में इतना कोहरा क्यों है...
गहरे रंग से डरा सवेरा क्यों है।।
सारे रंगों को थोड़ा मौका तो दो,
गहरे रंग को थोड़ा परे रखो,
सारा आलम यूँ ठहरा क्यों है,
ये रंगीन एहसास भी तो हमारे हैं,
फिर भी ये नाराज़गी का सेहरा क्यों है।।
नाराज़गी का रंग गहरा क्यों है...
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