हक़ मुझे समान दो

समान हक़....हर एक के लिए।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 07 Mar, 2021 | 1 min read
Women empowerment Women's day
सामान नहीं, सम्मान दो, 
हक़ हमें समान दो।
हूँ ग़लत तो रोक दो, 
कहूँ ग़लत तो टोक दो।
पर मेरे आत्मसम्मान का, 
ना यूँ बलिदान दो...
हक़ मुझे समान दो।।

जानती हूँ सहेजना, 
है मुझमें भी चेतना..
हृदय में मेरे वेदना, 
चीख और चीत्कार का,
ना मुझको सोपान दो, 
हक़ मुझे समान दो।।

छीन भी सकती हूँ मैं, 
दुनिया बदल सकती हूँ मैं...
अपनी नज़रों में, 
मुझे भी एक पहचान दो।
मेरे हक की ज़मीन तुम रख लो,
मुझे बस पंख और उड़ान दो... 
मेरा आसमान दो,
हक़ मुझे समान दो।।
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Shubhangani Sharma

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