परछाइयां

परछाइयां रिश्तों की, यादों की हर दम साथ रहती हैं। हमारे सुख दुख की साथी हैं हमारी परछाइयां।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 08 Nov, 2020 | 0 mins read
Shadows always follow us.

भावना के उस क्षितिज पर,

एक किरण की आस लेकर...

बन रही हैं आज फिर

कुछ बेनाम परछाइयां।।

अधूरी पगडंडियों सी,

मंदिरों की घंटियों सी...

सर झुकाती, गले लगातीं,

जानी बूझी सी परछाइयां।।

बीते समय की डोर लेकर,

और अतीत की चादरों पर...

ढल रही हैं प्रौढ़ होकर...

कुछ अनजान परछाइयां।।

कुछ बंद और खुले दरवाज़ो पर,

किसी और से सुने अल्फाजों पर,

अधूरे आकारों से बन रही हैं,

कुछ गुमनाम परछाइयां।।

बन रही हैं, और गहरी,

जैसे ढलती हो दोपहरी,

ना छूटती है, ना रूठती हैं,

यह कैसी हैं अटूट परछाइयां।।

मिलती हैं, बिछड़ कर..

बिछड़ कर फिर मिलती हैं...

तेरी मेरी सी, अपनी सी,

रंग बिरंगी परछाइयां।।



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Shubhangani Sharma

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