ये साल

ये साल कैसे गुज़र गया??

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 26 Dec, 2020 | 1 min read
Goodbye 2020
सरकते-सरकते, 
ये साल भी गया,
ज़मीन से फ़लक तक, 
सबको बेहाल कर गया।।

ये साल कैसा बवाल कर गया,
जीवन के सबको, 
निढाल कर गया।। 

घर में सजाने की सज़ा देकर, 
बड़ा कमाल कर गया।
संभलते कभी, कभी संभालते...
ये साल भी गया।।

इतिहास में अपना, 
बड़ा नाम कर गया।
सबको ही अपना, 
ग़ुलाम कर गया… 
ये साल कैसे हमें, 
गुमनाम कर गया।।

गाड़ी, घोड़े, पहिये... 
सबको जाम कर गया।
अर्थव्यवस्था का, 
क़त्लेआम कर गया...
ये साल बस यूँही, 
बदनाम हो गया।। 

बस यूँही सरकते-सरकते,
ये साल भी गुज़र गया।।

किताबें बंद, दरवाज़े बन्द, 
बच्चों के खेल को, 
खेल-खेल में निगल गया।। 

हाथों से रेत की तरह फिसल गया,
कैसी अनहोनी ये साल कर गया।।

आँखों में कहीं पानी, 
कहीं दिल में मलाल दे गया,
कैसी बेईमानी, ये साल कर गया।।

महफ़िलें भी सारी बेरंग कर गया,
आंगन के सारे जो रंग ले गया।।

बेचारा कितने इल्ज़ाम ले गया, 
लोगों के नए बहानों में बस गया..
उफ्फ ये साल बस, 
बहानों की उल्फ़त में गुज़र गया।।











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Shubhangani Sharma

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